विद्यार्थियों के लिए लघु नैतिक और प्रेरणादायक प्रेरक प्रसंग
Short moral and inspirational motivational quotes for students

- प्रेरक प्रसंग 1 – ‘सुन्दरता’, प्रेरक प्रसंग 2 – ‘मन की शांति‘, प्रेरक प्रसं, ग 3 – ‘भगवान पर भरोसा‘ प्रेरक प्रसंग 4– ‘पांच मिनट‘, प्रेरक प्रसंग 5– ‘ मिलियन रुपए की पेंटिंग ‘, प्रेरक प्रसंग 6– ‘आज्ञा पालन‘
विद्यार्थियों के लिए लघु नैतिक और प्रेरणादायक प्रेरक प्रसंग
Short moral and inspirational motivational quotes for students
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विद्यार्थियों के लिए लघु नैतिक और प्रेरणादायक प्रेरक प्रसंग –

प्रेरक प्रसंग 1 – ‘सुन्दरता’
एक कौआ सोचने लगा कि पंछियों में मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूँ। न तो मेरी आवाज ही अच्छी है, न ही मेरे पंख सुंदर हैं। मैं काला-कलूटा हूँ। ऐसा सोचने से उसके अंदर हीनभावना भरने लगी और वह दुखी रहने लगा। एक दिन एक बगुले ने उसे उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा। कौवे ने कहा – तुम कितने सुंदर हो, गोरे-चिट्टे हो, मैं तो बिल्कुल स्याह वर्ण का हूँ। मेरा तो जीना ही बेकार है। बगुला बोला – दोस्त मैं कहाँ सुंदर हूँ। मैं जब तोते को देखता हूँ, तो यही सोचता हूँ कि मेरे पास हरे पंख और लाल चोंच क्यों नहीं है।
अब कौए में सुन्दरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी। वह तोते के पास गया। बोला – तुम इतने सुन्दर हो, तुम तो बहुत खुश होते होगे ? तोता बोला- खुश तो था लेकिन जब मैंने मोर को देखा, तब से बहुत दुखी हूँ, क्योंकि वह बहुत सुन्दर होता है।
कौआ मोर को ढूंढने लगा, लेकिन जंगल में कहीं मोर नहीं मिला। जंगल के पक्षियों ने बताया कि सारे मोर चिड़ियाघर वाले पकड़ कर ले गये हैं। कौआ चिड़ियाघर गया, वहाँ एक पिंजरे में बंद मोर से जब उसकी सुंदरता की बात की, तो मोर रोने लगा। और बोला – शुक्र मनाओ कि तुम सुंदर नहीं हो, तभी आजादी से घूम रहे हो वरना मेरी तरह किसी पिंजरे में बंद होते।
कथा-मर्म : दूसरों से तूलना करके दुखी होना बुद्धिमानी नहीं है। असली सुन्दरता हमारे अच्छे कार्यों से आती है।
प्रेरक प्रसंग 2 – ‘मन की शांति‘
सेठ अमीरचंद के पास अपार धन दौलत थी। उसे हर तरह का आराम था लेकिन उसके मन को शांति नहीं मिल पाती थी। हर पल उसे कोई न कोई चिंता परेशान किये रहती थी। एक दिन वह कहीं जा रहा था तो रास्ते में उसकी नजर एक आश्रम पर पड़ी। वहाँ उसे किसी साधु के प्रवचनों की आवाज सुनाई दी। उस आवाज से प्रभावित होकर अमीरचंद आश्रम के अन्दर गया और बैठ गया।
प्रवचन समाप्त होने पर सभी व्यक्ति अपने अपने घर को चले गये। लेकिन वह वहीँ बैठा रहा। उसे देखकर संत बोले, ‘कहो, तुम्हारे मन में क्या जिज्ञासा है, जो तुम्हें परेशान कर रही है। ‘ इस पर अमीरचंद बोला ‘बाबा, मेरे जीवन में शांति नहीं है।’ यह सुनकर संत बोले ‘घबराओ नहीं तुम्हारे मन की सारी अशांति अभी दूर हो जायेगी।’ तुम आंखे बन्द करके ध्यान की मुद्रा में बैठो। संत की बात सुनकर ज्यों ही अमीरचंद ध्यान की मुद्रा में बैठा त्यों ही उसके मन में इधर – उधर की बातें घूमने लगीं और उसका ध्यान उचट गया। सेठ बोला ‘चलो, जरा आश्रम का एक चक्कर लगाते हैं |’
इसके बाद वे आश्रम में घूमने लगे। अमीर चंद ने एक सुंदर वृक्ष देखा तथा उसे हाथ से छुआ । हाथ लगाते ही उसके हाथ में एक कांटा चुभ गया और सेठ । बुरी तरह चिल्लाने लगे। यह देखकर संत वापस अपनी कुटिया में आए। कटे हुए हिस्से पर लेप लगाया। कुछ देर बाद वह सेठ से बोले, ‘तुम्हारे हाथ में जरा – सा कांटा चुभा तो तुम बेहाल हो गए।’ सोचो कि जब तम्हारे अन्दर ईर्ष्या, क्रोध व लोभ जैसे बड़े – बड़े कांटे छिपे हैं, तो तुम्हारा मन भला शांत कैसे हो सकता है ? संत की बात से सेठ अमीरचंद को अपनी गलती का अहसास हो गया। वह संतुष्ट होकर वहां से चला गया। उसके बाद सेठ अमीरचंद ने कभी भी ईर्ष्या नहीं की, क्रोध का भी त्याग कर दिया।
शिक्षा – ईर्ष्या, घृणा, द्वेष ये सभी बुराईयां मनुष्य को नरकगामी बनाती हैं। इनसे हमेशा दूर रहें।
प्रेरक प्रसंग 3 – ‘भगवान पर भरोसा‘
जाड़े का दिन था और शाम हो गयी थी। आसमान में बादल छाये थे। एक नीम के पेड़ पर बहुत से कौवे बैठे हुए थे। वे सब बा- बार कॉव – कॉव कर रहे थे एवं एक दूसरे से झगड़ भी रहे थे। इसी समय एक छोटी मैना (starling) आयी व उसी नीम के पेड़ पर जा बैठी। मैना (starling) को देखते ही कई कौवे उस पर टूट पड़े।
बेचारी मैना ने कहा- ‘बादल बहुत है, कृपया कर मुझे आज रात यही रहने दो।’
कौवे ने कहा- ‘नहीं, यह हमारा पेड़ है। तुम यहाँ से चली जाओ।’
मैना said – भाई ‘पेड़ तो सब भगवान् के हैं। मैं बहुत छोटी हूँ और तुम्हारी बहन हूँ इसलिए मुझ पर दया करो और मुझे यहीं रहने दो।’
कौवे ने कहा – ‘हमें तुम्हारी जैसी बहन नहीं चाहिए। तुम बहुत भगवान् का नाम लेती हो तो फिर भगवान के भरोसे तुम यहाँ से चली क्यों नहीं जाती ?’
कौवे तो झगडालू होते ही हैं। जब वे शाम को घर आते हैं, लड़े बिना उनसे रहा नहीं जाता है। कौवों को झगड़ते देख मैना वहाँ से चली गयी और थोड़ी दूर जाकर आम के पेड़ पर जा बैठी। रात को आँधी आयी बादल गरजे बड़े बड़े ओले भी पड़े। कौएं कॉव – कॉव चिल्लाए व ओले की मार से सब नीचे गिर गये।
मैना (starling), जिस आम के पेड़ पर थीं उसकी डाल भीतर से एकदम सड़ गयी थी और गीली हो गयी थी। डाल टूटने पर उसकी जड़ के पास पेड़ में एक खण्डहर हो गया। छोटी मैना उसमें घुस गयी व रात भर सुरक्षित रही। उसे एक ओला भी नहीं लगा।
सुबह हुआ धूप निकली मैना (starling) अपना पंख फैलाकर उड़ गयी तथा भगवान को प्रणाम किया। पृथ्वी पर पड़े कौवे को देखकर वह बोली – कि तुम्हें मेरी सहायता करनी चाहिए थी।
कौओं ने पूछा – तुम कहा थीं रात भर। तुम्हें ओले की मार से किसने बचाया ?
मैना ने बताया – ‘मैं आम के पेड़ पर बैठकर भगवान से प्रार्थना करती रही और भगवान् ने मुझे बचा लिया। आखिर भगवान् के अलावा मुझे बचाता ही कौन ?’
लेकिन उन्होंने सिर्फ मुझे ही नहीं बचाया। जो लोग भगवान् के ऊपर विश्वास करते हैं, उसकी भगवान् हमेशा रक्षा करते हैं।
एक व्यक्ति को रस्ते में यमराज मिल गये वो व्यक्ति उन्हें पहचान नहीं सका। यमराज ने पीने के लिए व्यक्ति से पानी माँगा, बिना एक क्षण गवाए उसने पानी पिला दिया। पानी पीने के बाद यमराज ने बताया कि वो उसके प्राण लेने आये हैं लेकिन चूँकि तुमने मेरी प्यास बुझाई है इसलिए मैं तुम्हें अपनी किस्मत बदलने का एक मौका देता हूँ |
यह कहकर यमराज ने एक डायरी देकर उस आदमी से कहा कि तुम्हारे पास 5 मिनट का समय है | इसमें तुम जो भी लिखोगे वही हो जाएगा लेकिन ध्यान रहे केवल 5 मिनट |
उस व्यक्ति ने डायरी खोलकर देखा तो उसने देखा कि पहले पेज पर लिखा था कि उसके पड़ोसी की लॉटरी निकलने वाली है और वह करोड़पति बनने वाला है | उसने वहां लिख दिया कि उसके पड़ोसी की लॉटरी न निकले |
अगले पेज पर लिखा था कि उसका एक दोस्त चुनाव जीतकर मंत्री बनने वाला है, तो उसने लिख दिया कि उसका दोस्त चुनाव हार जाए |
इस तरह, वह पेज पलटता रहा और, अंत में उसे अपना पेज दिखाई दिया | जैसे ही उसने कुछ लिखने के लिए अपना पेन उठाया यमराज ने उस व्यक्ति के हाथ से डायरी ले ली और कहा वत्स तुम्हारा पांच मिनट का समय पूरा हुआ , अब कुछ नहीं हो सकता |
तुमने अपना पूरा समय दूसरों का बुरा करने में व्यतीत दिया और अपना जीवन खतरे में डाल दिया | अंतत: तुम्हारा अंत निश्चित है |
यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत पछताया लेकिन सुनहरा मौका उसके हाथ से निकल चुका था |
शिक्षा – यदि ईश्वर ने आपको कोई शक्ति प्रदान की है तो कभी किसी का बुरा न सोचे, और न ही बुरा करें | दूसरों का भला करने वाला सदा सुखा रहता है और, ईश्वर की कृपा सदा उस पर बनी रहती है |
प्रेरक प्रसंग 5– ‘ मिलियन रुपए की पेंटिंग ‘
पिकासो स्पेन में जन्मे एक बहुत मशहूर चित्रकार थे | उनकी पेंटिंग दुनियाभर में करोड़ो रुपए में बिका करती थी | दुनियाभर के लोग उनकी पेंटिंग के दीवाने थे |
एक बार पिकासो किसी काम से कही जा रहे थे, तभी वे रात को किसी छोटे शहर में होटल में रुके | वहां के लोग उन्हें नहीं पहचानते थे कि वे इतने मशहूर चित्रकार है |
लेकिन उसी होटल में ठहरी एक महिला की नजर उन पर पड़ी और वे पिकासो को पहचान गयी | अब ये महिला पिकासो के पास गयी और बोली “सर मैं आपकी बहुत बड़ी प्रसंशक हूँ | प्लीज , मेरी लिए एक पेंटिंग बना दीजिए |”
पिकासो ने कहा “अभी फिलहाल मेरे पास यहाँ पेंटिंग का कोई सामान नहीं है | मैं फिर कभी बना दूंगा |”
पर महिला जिद करने लगी कि यदि मेरा आपसे फिर कभी मिलना नहीं हुआ तो ! आप अभी ही कुछ बनाकर दीजिए |
पिकासो ने अपनी जेब से एक छोटा सा कागज का टुकड़ा निकाला और होटल रिसेप्शनिष्ट से पेन लेकर 20 सेकंड से भी कम समय में उसे कुछ बनाकर दे दिया और कहा ये लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग |
महिला बिना कुछ बोले वहां से चली गयी और सोचने लगी कि पिकासो ने उसे जल्दबाजी में कुछ भी बनाकर दे दिया है और उसे पागल बना रहे है | फिर भी उसने मार्केट में जाकर पेंटिंग की कीमत पता की, तब उसे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग सच में मिलियन डॉलर की थी |
अब यह महिला अगले दिन फिर पिकासो से मिली और उनसे कहने लगी कि सर आपने 20 सेकंड से भी कम समय में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी तो आप मुझे भी पेंटिंग बनाना सिखा दीजिए | मैं 20 सेकंड में न सही , लेकिन शायद 10 मिनट में तो कुछ बना ही पाउंगी |
पिकासो हंसते हुए बोले, ” ये जो मैंने 20 सेकंड में पेंटिंग बनाई है इसे सीखने में मुझे 30 साल लगे है | मैंने अपने जीवन के 30 साल इसे सीखने में दिए है, तुम भी दो, सीख जाओगी |”
अब महिला के पास कोई जवाब नहीं था |
शिक्षा – हमें समझना चाहिए कि सफलता तो आसानी से मिल जाती है लेकिन उसकी तैयारी में कड़ी मेहनत और अपना पूरा जीवन भी कई बार लगाना पड़ता है |
प्रेरक प्रसंग 6– ‘आज्ञा पालन‘
एक समय की बात है। रेगिस्तान के किनारे स्थित एक गाँव में एक व्यापारी रहता था। वह ऊँटों का व्यापार करता था। वह ऊँटों के बच्चों को खरीदकर उन्हें शक्तिशाली बनाकर बेचा करता था। इससे वह ढेर सारा लाभ कमाता था।
व्यापारी ऊँटों को पास के जंगल में घास चरने के लिए भेज देता था। जिससे उनके चारे का खर्च बचता था। उनमें से एक ऊँट का बच्चा बहुत शैतान था। उसकी हरकतें पूरे समूह की चिंता का विषय था। वह प्राय: समूह से दूर चलता था और इस कारण पीछे रह जाता था। बड़े ऊँट हरदम उसे समझाते थे पर वह नहीं सुनता था इसलिए उन सब ने उसकी परवाह करना छोड़ दिया था।
व्यापारी को उस छोटे ऊँट से बहुत प्रेम था इसलिए उसने उसके गले में घंटी बाँध रखी थी। जब भी वह सिर हिलाता तो उसकी घंटी बजती थी जिससे उसकी चाल एवं स्थिति का पता चल जाता था।
एक बार उस स्थान से एक शेर गुजरा जहाँ ऊँट चर रहे थे। उसे ऊँट की घंटी के द्वारा उनके होने का पता चल गया था। उसने फसल में से झांककर देखा तो उसे ज्ञात हुआ कि ऊँट का बड़ा समूह है लेकिन वह ऊँटों पर हमला नहीं कर सकता था क्योंकि समूह में ऊँट उससे बलशाली थे। इस कारण वह मौके की तलाश में वहाँ छुपकर खड़ा हो गया।
समूह के एक बड़े ऊँट को खतरे का आभास हो गया। उसने समूह को गाँव वापस चलने की चेवातानी दी और उन्हें पास पास चलने को कहा। ऊँटों ने एक मंडली बनाकर जंगल से बाहर निकलना आरम्भ कर दिया। शेर ने मौके की तलाश में उनका पीछा करना शुरू कर दिया।
बड़े ऊँट ने विशेषकर छोटे ऊँट को सावधान किया था। कही वह कोई परेशानी न खड़ी कर दे। पर छोटे ऊँट ने ध्यान नहीं दिया और वह लापरवाही से चलता रहा।
छोटा ऊँट अपनी मस्ती में अन्य ऊँटों से पीछे रह गया। जब शेर ने उसको देखा तो वह उस पर झपट पड़ा। छोटा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भागा, पर वह अपने आप को उस शेर से बचा नहीं पाया। उसका अंत बुरा हुआ क्योंकि उसने अपने बड़ों की आज्ञा का पालन नहीं किया था।
शिक्षा – हमें अपनी भलाई के लिए अपने माता – पिता एवं बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
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