पन्नालाल कटारिया : झूमको बातां री कहांणी संग्रै 3: JHMAKO BATAN RI KAHANI SANGRAH 3

पन्नालाल कटारिया : झूमको बातां री कहांणी संग्रै 3: JHMAKO BATAN RI KAHANI SANGRAH 3
कहानी : म्हारे उणरी बात
- दायजौ
- कालजे री कोर
- बूढो मरतंग
अमरजी माट साब मिनखां रै जमघट में बोलतां छका कह्यो, साथियों। दहेज एक अभिशाप है। इक कुरीती को समाज से उखाड़ फेंकना है। सगला नुवां मोच्यार माट साब रे भासण माथै तालियां पर तालियां बजावै। अमरजी आखै चौखला मांय एक लूंठा समाज सुधार मानीजै। गांव-गांव समाज मांय वापरियोड़ी कोजी रीतां ने छोड़ण री भुलावण देवै।
अमरजी कोई स्कूल में पढावण आला मासट्र नीं हौ, पण बै एम.ए. तांई भलिया पढ़ाई जरूर हा, इण खातर लोग बांनै लाड सू माटसाब इज कैवता। पूरै चौखलै में अमरजी माटङसाब नांव सूं चावा है।
माटङसाब रै एका एक छोरी जमना। जमना कॉलेज में पढ़े। बा घणी फूटरी फर्री अर पढ़ाई में घणी हुस्यार। हुवै पछै क्यूं नीं उणरौ बापू अणूतौ भणियो पढ़ियों अर चौखलै चावौ समाज सुधारक मानीजै। जमना पण उणरै बापू री सीख आलै मारग चालै।
जमना अबै मोट्यार व्हैगी, बा कॉलेज री पढाई पण पूरी करली। माटङसाबने जमना रै सगपण री चिंत खावण लागी।
माटङसाब उणरा सिद्धांतां रै मुजब इसौ घर अर वर देखणौ चावै जो दायजा रो विरोध करै।
पर माटङसाब ने ईसौ घर ओजूं मिलयो नीं। माटङसाब अबै समाज सुधार रा भासण देवणा बंद कर दिया। बै जमना रै सगपण खातर दायजा विरोधी घर अर वर भी भाल में फिरता फिरै। इयां करता करता एक दो बरस फेरूं निकलगा।
माटङसाब घर मांय उदास बैठा कीं बिचारै हा कै म्हैं भाषण देवतो जद लोग कितरी तालियां बजावता अर म्हैं मानतो के म्हारी बात लोगां अंग्रेज कर ली। बै ऊंडा विचारा में डूबगा।
उण इज बखत एक मोट्यार माट साब रे घरां आयो, माट साब सूं राम राम कर्या।
बोल्यो माटङसाब म्हैं आपरी बेटी जमना रो हाथ मांगण सारू आयो हूं। माटङसाब एक टक सांमी देखण लागा। माटङसाब बोल्या-आप कांई करो हो अर आपरी पिछाण बतावो।
म्हैं, विकास पंडित, म्हैं इण बरस इस डॉक्टरी पढ़ाई पूरी करर कॉलेस सूं आयौ हूं। थारै नजीक रै गांव रौ रेवासी हूं।
जद तो थां म्हनै पण पिछाणता व्हौला। हां सां थारो नांव तो चौकले चावौ है। कोई हियाफूटो होसी जो नीं जाणै, विकास पडूतर देतो थको बोल्यो।
जद तो थां आ पण जाणता व्होला कै म्हैं दायजा रो विरोधी हूं, माटङसाब बोल्या। विसाक माटङसाब री बात मंजूर करी।
विका रा मां बाप उणरौ सगपण घणो दायजी देवण आला रै घरमां करण सारू कैवे। पण बो नीं मान्यो। विका मां बाप रै परबारो जमना सूं ब्याव कर लियौ।
माटङसाब जमना रो घर बसाय नै घणा राजी हुया। अणूतो भार उतरगो माटङसाब रो। बठीनै विकास रा मां बाप बींयां रै परबारौ ब्याव करण रै कारण रीसां बल घर रा बारण मांय नीं बडण दियौ। जमना अर विकास दोन्यूं धणी लुगाई सासू सुसरा सूं न्यारा रेवण लागा। दोन्यूं घणा राजी अर सुख सूरैवे।
जमना बारणा कनै उभी उणरै धणी विकास नै उडीकै ही। डाकियो गली मांय कागद बैंचतो थको जमना रै घर कनै आय कागद फरोलण लागो अर एक मोटो सो लिफाफो जमना रै हाथ में दियो।
जमाना नांव ठिकाणो पढ़र देख्यो के लिफाफो डॉ. विकास रे नांव रो हो। वा लिफाफा ने खोलर देख्यो तो बा घणी राजी व्ही। बो उणरे धणी री नौकरी रो हुकम हो। विकास री अमेरिका मांय नौकरी लागगी। विकास जद घरां आयो तो पैली उणरो मूंडो मंगलेस ूसं मीठौ करायो अर पछै नौकरी रे हुकम (ऑडर) आलो लिफाफो हाथ में दियो।
जमना आज घणी राजी है। माटङसाब ने जद विका रै नौकरी री ठाह पड़ी तो बै बठै आ ा, मीठो मुंहड़ो करावण सारू। माटङसाब पण घणा राजी के म्हारो जंवाई अमेरिका में लूंठो डॉक्टर मानीजैला अर म्हारी जमना राज करैला।
विका कीं विचार में डूबगो, करै पण कांई। अबार बो जमना ने साथै नीं ले जाय सकै क्यूंकि हाल तांई नुंई नौकरी अर रैवण री सगवड़?
विकास मां अर बापू कनै जाय नौकरी लागण रा समाचार सुणाया तो बे पण घणा राजी हुया पण जमना कांट री दांई खटकै ही। जियां तियां विकास जमना ने आपरा मां अर बापू कने राख अमेरिका व्हीर व्है गियौ।
जमना आपरी आदरा भावना, मीठी बोली अर सेवा चाकरी सूं सासू सुसरा ने राजी कर दिया। अबै सासु सुसरा जमना नै घणै लाड़ सुं राखै। बींदणी रा चौफेर बखाण करै। बे दायज आला लोओभ ने भूलगा। जमना ने दायजा सूं बैसी मानै।
पिकास रै अमेरिक गिया बरस एक व्हैगौ पर ओजूं कागद जमना रै नांव सूं नीं आयो। फगत मां अर बापू रे खातर रिपिया भेजै।
जमना अबै मन मांय रौवे अर विचारै कै विकास पाछो क्यूं नीं आयो, म्हनै याद पण नीं करी, कांई बो ब्याव फगत एक सूपनो हो। फेरूं बा विचारै स्यात विलायत में काम घणौ रैवतो होवैला।
माटङसाब जमना री हालत देखा घणा दुखी व्है। माटङसाब रै अबै धोला आयगा। बरस साठ रै लगै टगै व्हैगा। माटङसाब रै कनै अबै कुण ई भाशण रो न्यूतौ नीं लावै।
पन्नालाल कटारिया : झूमको बातां री कहांणी संग्रै 3: JHMAKO BATAN RI KAHANI SANGRAH 3
बै मन मांय घुटण लागा। विकास ओजू पाछो क्यूंनी आयो-विचारै हा।
जमना सासू सुसरा री चकारी करै अर बै भी जमना नै घणौ लाड राखै पण बा घणी रै विजोग में फगत एक चाकर बणर रैगी।
माटङसाब जमना सूं विकास रा फोन नंबर देखण रो कह्यो। जमना मनीआर्डर आला फोर्म माथै नंबर देखे अर बापू ने दिया।
माटङसाब टेलीफोन सूं बंतल करै।
अमेरिका में विकास रे घरां फोन रे घंटी बाजै।
हैलो..हैलो..
म्हैं ि ण्यि से.. माटङसाब अमरजी..
(आई एम अमर स्पीकिंग फ्रोम इण्डिया)
हैलो..आप चाहो तो हिन्दी में बात कर सकतै हैं मैं भी इण्डियन हूं।
आप कौन..
हैलो..मैं डॉ..सुधा पंडित बोल रही हूं। मेरा मतलब डॉ. विकास की वाईफ बोल रही हूं।
ऐक बार माटङसाब रे हाथ सूं रिसीवर छूटगौ अर जमी माथै पड़गौ।
फेरूं बोलण लागा-म्हैं अमरीज माटङसाब जमना का बापू बोल रहा हूँ।
सुधा..ओह! जमना…हाँ..हाँ..विकास ने मुझे बताया था कि अमेरिका आने से पहले उसने घर पर एक नौकरानी रख ली है। वह थोड़ी बहुत पढ़ी लिखी अर समझदार है। मां अर बापू की देखभाल अच्ची तरह से कर लेगी।
माटङसाब..जमना..नौकरानी..यह क्या कर रही हो तुम! माटङसाब तो धड़ाम जमी माथै पड़गा अर अमूजणी आयगी उणनै।
जमना माटङसाब ने उठावे अर घरां ले जावै। बीं दिन जमना अर माटङसाब घणा रोया।
विका अमेरिका जाय एक देसी (भारत) डॉक्टरणी सूं धम माल अर बंगला गाड़ियां रे लोभ में आंधौ व्है ब्याव कर लियो अर जमना ने भूलगो।
अबै जमना विका रो घर छोड़ दियो अर एक पक्को मनसूबो मन मायं राखर बापू रो समाज सुधार आलो मारग फकड़ लियो। बींरी आंख्या सूं त्रासदी रा पतंगा उठलै हा। बहा एक घायल नारी री दांई छटपटावै ही।
जमना अबै एक मोरचो बणायो। इणमें घणकरी सतायोड़ी लुगायां ही। सगली जमना रे साथै व्हैगी।
इयां करता जमना एक लूठठीं समाज सुधारक बणगी।
जमना कोर्ट में डॉ. विकास पंडित रै खिलाफ में एक केस रपट मुजब दरज करायो। कोरट रौ फैसलो डॉ. विकास रे शादीशुदा व्हैता थकां दायजा रा लोभ मे ंदूजौ ब्याव करणो जुलम में नौकरी सूं बर्खास्त कर दियौ अर जेल री करड़ी सजा सुणाय दी।
जमना एक लेखक रे साथ घर बसाय लियो। लेखक अर जमना अबै घणा सुख सूंरैवे।
विकास जेल मांय उणरै खोटै करमां रे पांण पछतावै। जेल री काल कोठरी मांय खूणा में बैठो नीची नाड़ कर रोवे हो।
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धापू हाथ में कागद लिया बारणा रै बारै बैठी कीं विचारै ही। डाकियो थोड़ी ताल पैली धापू ररै हाथ में एक कागद फकड़ाय गियो हो। कागद बचावण सारू बारै उभी किणी भणिया पढ़िया री उडीक में आवता जावता ने देखे। कागद धापू रे बेटा जवाना रो हो। जवानो फौज मांय दुसमिया रे सांमी चाती डटियोड़ो हो। धापू बेटा रे राजी खुशी रा समाचार सुण बा घणी राजी व्ही। बेटो देस रे खातर दुसमियां सूं लड़ै इण बात सूं बीनै दुणौ अंतस हो। जवानो दो महिना पछै छुट्टी आवण रा समाचार लिख्या हा।
धापू पण एक सहीद री विधाव है। दो बरस पैली ईज उणरो धणी दुसमियां सूं लड़तो देस रे खातर सहीद व्हैगो हो। धापू ने पण समाज मांय अणऊतो मान सनमान मिलियो। बींनै उणरा धणी री वीरता माथै घणौ गुमान हो। धापू उणरै धणी रै मारग चालण री सीख उणरा बेटा जवानां ने दी ही। उणरै मन में देस भगती री भावना अणूती है। धापू री बिनणी जवानां री बऊलिछमी रो पग भारी है, उणरै टाबर जलमण रा दिन नैडा आयगा हा। लिछमी आंगणा रे बिचालै बैठी विचारै ही इसै बखत में हरेक नौकर ने छुट्टी मिले, फखत देस रे खातर लड़ण फौजी ने नीं मिलै। बो कै तो लड़ाई पीरी होयां घरां आवै कै उणरी लास..।
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लिछमी कीं आपौ संभाल र मन ने फटकारियो-आ थूं कांई सौचे है, धणी तो परमेसर मानीजै अर उणरै वास्तै इसा विचार। बा करै पण कांई पैलो टाबर अर धणई काले कोसां आगौ बैठो है। थारे कने भगवान है। भगवान माथै भरोसो राख बा मन ने थथोबो दियो। धापू लिछमी ने इंया बैठी शी घणा बखत सूं दैखे ही। बा कह्यो घ्बेटा उठ! इंया कालजा ने नैनो नीं करणो चाईजै। जवानो म्हारै कालजी री कोर है। बेटा ! बो देस रे खातर सीमा माथै डट्योडो है। उठ बेटा! थनै इण हाल में घणो भूखौ नी रैवणो चाईजै।’
लिछमी उठी! रसोड़ा मांय जाय खीचड़ो रांध्यो। सासु अर बिनणी दोन्यूं खिचड़ो जिम्यो। तद घणी धरां नीं व्है तो पांच पकवान किणनै भावै। जे टाबर व्है तो उणरे मिस बणाय दैवे पण लिछमी रे तो ओजूं पैलो टाबर अबै होवण आलो है। बा तिबारी लिछमी री आंख फेरूं खुली, उणनै नींद कद आवै ही? चाणचक चिमनी बुझगी, तिबारी मांय अंधारो व्हैगो। एक अणूती पड़ी उणरी कमर ने पकड़ ली। बा पाछी माछी माथै बैसगी। पीड़ री मारी परेवा (पसीना) सूं तर व्हैगी। लिछमी फेरू जोर कर उछी। चिमनी जगाई अर उणनै सावल लटकाय नीं सकी जितै पड़ी पाछी वापरगी। लिछमी गांठड़ी री नाई भैली व्है-अरे, इसौ कांई व्हैगो म्हारै? माची माथै पड़गी लिछमी अमूज आयगी उणने। पीड़ रो हिलारो बीने कोजी भांत फड़फड़ावै हो।
धापू कनै दूजै ओरे मांय सूती ही। लिछमी सासु ने नी जगाई-बीने सास री बात याद ही कि चार पांच घड़ी तांई तो दरद झलणो चाईजै। बा विचारियो सफाखाने जाय कांई करणो है? पीड़ तो म्हनै ई जेणी पड़सी। सफाखाना मांय कै घरां। इतरी अणूती पीड़ व्हैला लिछमी कदैई नीं विचारियो हो। पूरा डील ने गांठड़ी रे जियां भैलो कर राख्यौ हो।
बा फेरू हिम्मत कर उठी अर सासू ने जगाई। धापू हाफलबाई उठी अर पड़ौस आली दाई ने बुलावण सारी गू। धापू बैगी सी दाई नै सागै सागै लेयर आवगी। पड़ौ री दो चार लुगायां फेरूं आयगी। बैगी सी सफाखाना में पण खबर करया दी। सफाखाना सूं एक लैड़ी डॉक्टरणी अरदूजौ स्टाफ आयगौ। धापू लिछमी रे माथा माथै हाथ फेरे ही अर थथोबै ही।
धापू मन मांय डरपै ही-घ्अबै कांई होसी। सांसा भूलगी-लिछमी’इतरी तड़पावै आ कालजा री कोर। भाखफाटी री वेला लिछमी रे एक नैनकियो जलम्यो। अणचैतै पड़ी ही। कीं चैतो आयौ तो नैनकिया ने देख निहाल व्हैगी। बींनै आपरो घणी जवानो याद आयोगा। लै ओ थार देश रो रखवाओ अर म्हरा कालाज री कोर। घर मांय थाली री झणकार फूटी। गांव मांय सगला ने ठाह पड़गी कि फौजी जवानो रे बेटो जलम्यो।
दिन उगे सूर उग्यां पछै लगै टगै आठ सवा आठ बज्या व्हैला के गांव रा सार्वजनिक टेलिफोन तांई आ खबर पूगी के जवानो दुसमणां सूं लड़तो लड़तो देस रे खातर सहीद व्हे ैगो. आज सिंझ्या तांई सहीद री लास गांव पूग जासी।
लिछमी तो जाणै माथै भाकर पड़ृगो। अणचेते व्हेगी। चैतो आवण तांई सासु री छाती में माथो दे कुरलावण लोगी। नानकडिया ने छाती सू लगाव लियौ। बा रोवती सी बोले क्यूं मिनख एक दूजा ने मारे। गोली चाहे कुणसी दिया सूं लागै। टूटै तो एक मां रे कालजा री कोर।
एक मां पूरी रात अणूती पीड़ झेल नवा जीव ने धरती माथै ल्यावै। लिछमी नानड़िया रा अणूतो लाड़ करै अर जोर जोर सूं रोवे ही। धापू रे मुंडै सूं फखत एक इज सबद निकलै म्हारै कालजा री कोर। फेरू लिछमी रोवे -अरे! म्हारे कालजा री कोर। दोन्यूं री आंख्यां मांय ूसं आंसुवा रो अबै थाग आयगो हो।
जवानो कैवतो हो-घ्लिछमी थांरो लाड़लो पण म्हरा ै जियां देस री रिच्छा करैला।’
लिछमी ने जवाना री बात याद आयगी, बा रोवती थकी घ्जरूर..जरूर करैला म्हारा भरतार, म्हारी आ कालज री कोण इण देस री रिच्छा जरूर करेला।’धापू अर लिछमी रे कालजा रा लीरा लीर व्हैगा।
पण एक अंतस ही मन में देस रे खातर जान देवण आलै सहीद री मां अर अर्धांगनी होवण रो, गुमेज पण ही।
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पन्नालाल कटारिया : झूमको बातां री कहांणी संग्रै 3: JHMAKO BATAN RI KAHANI SANGRAH 3
जीवा री बूढी मां आज सरग सिधाय गी। घर मांय सगला लुगाई टाबर रोवण लागा। जीवो पण मां रे सागै सागै उमरी गरीबी ने भैलो रोवे हो। उणरै माथै जाणै भाखर पड़गौ। पण बाती कीं भाखर सूं बैसी ही। घर मायं बूढो मरतंग अर समाज री कोजी रीत रे पांण मां रे लारे चोखो लगावण री रीत।
जीवो मेङणत मजूरी कर नीठ डाबरां रो पेट पालै। उणरै कनै मजूरी रे सिवा कीं दूजा आजोग नींह ही। पांच टाबरां रो पेट भरणो अर मां री चाकरी बींनै गला तांई दबाय दियो हो।
जीवो मेलावा रे भैलो जोर जोर सूं बांग देतो थको मां ने रोवे हो। जीवा ने रोवता सुण गांव रा मिनख भेला हुग्या। सगला जीवा ने थथोबे हा। कुण ई कैवे-घ्भई जीवा छानो रह भाई, ओ तो बूढ़ो मरतंग है, ब्याव जिसी बात है। थारे हाथ सूं चाकरी करी अर थांरा कांधा सूं सुरग पूगगी इण सूं बैसी मायतां रै खातर कांई व्है सकै?’
कुण ई कैवे-घ्भई जीवा घर में बूढो मरतंग है, लारै चोखौ लगाईजै भलो।’कुण ई कैवे-घ्जीवा थारी गवाड़ी बडेरा सूं खरच खाता आली मानीजै, इण खातर घर में बूढो मरतंग अर चोखो लागवण रो ईसौ मौको फेरूं ना आवै भलो।’
जीवो सगलां री सुणै पण करै कांई? उणरी गरीबी घर रा चारूं खूणा मांय गतोला खावै ही। समाज में चोखो लगावण री रीत अर घर मांय बूढो मरतंग।
गांव रा मिनख लुगायां बूढा बडेरा जीव रे घरां बैसण आवै। सगला मां रे लारे चोखो लगावण री भुलावण देय नै जातै रैवे।
कुण ई आ नीं कैवे के जीवा थूं चि ंता मत कर पांच पचीस म्हारै सूं ले लिया। गांव रो एक ठेकदार जद आ बात सुणी तो जीवा रे घरां बैसण आयो। ठेकेदार ने घरां आवता देख जीवो मां ने रोवण लागो। ठेकेदार जीवो ने थथोबो दियो।
जीवो बोल्यो-घ्ठेकदार सा आप म्हारै घरां पधारिया, म्हारा मोटा भाग।’ठेकेदार कैवण लागो-घ्भई जीवा दुख मांय मिनख मिनख रे इज काम आवै। म्हैं आ कैवण आयो हो के पांच पचीस री जरूरत पड़ै तो थूं पाछो मत जोई भलो। घर मांय बूढो मरतंग है, ईसौ मौकौ फेरूं नीं आवै। मां रे लारे चोखो लगाईजै भलो।’
जीवो बोल्यो-घ्ठेकदार सा म्हारै कनै तो गिरवै राखण सारू कीं नीं है। घर मांय फाट्योड़ा पूर अर दो चार जूना पातला वासण-दो थाली परात अर माट री हांडी रे सिवा कीं नीं है। दागीणो तो अजै तांई म्हैं देख्यो ई कोनी।’
घ्अरे! थूं इयां पाछो कियां जौवे है’ठेकदार बोल्यो। थारे आलै मोटेड़े छोरे ने म्हारै साथै मेल दिया। थांरी मां रे लारे रो सगलो खरचो म्हैं दे देस्यूं।’
जीवो ठेकेदार रा बोल सुण ऊंडा विचारां मे डूबगो। ठेकेदार ह्यो-घर मांय बात कर लीजै, काल पाछो मिलसूं। ठेकेदार रे वास्तै ओ एक सौवणो मौको हो।
घ्हां तो कांई विचार राख्यो भई जीवा?’दूजै दिन फेरूं जीवा रे घरां बैठतो थको बोल्यो। ठेकेदार सा! म्हनै तो कीं एतराज कोनी पर छोरी री मां…।देख भई जीवा घर रा सगला ऊंदरा मिनकी राजी व्हैणा चाईजै। घर मांय सावल समझायदे थांरी लुगाई ने के बारै गया थांरो छोर हुस्यार व्है जासी। ठेकेदार कीं जोर सूं बोल्यो। घ्ठेकदार सा, म्हैं घणा गरीब हां अर म्हारै छोरो पण एक इज है। छोरी री उमर दस बारा बरसां रे लगै टगै इज है। म्हारै छोर्यां पण चार है।’जीवा हाथ जोड़तो थको बोल्यो। आछो भई-मरजी थारी पछै मत ना कईजै के ठेकदराजी म्हारी की ईमदाद नीं करी।
घ्दस बारा दिनां पछै म्हैं जावूंलो थूं एक बार फेरूं विचार कर लिया।’ठेकेदार बोल्यो अर धोती रो पल्लो झाड़तो थको बैठो व्है गियो। बीं रात जीवा अर उणरी लुगाई री आंख्यां में नींद नाव नीं ही। कनै निधड़क सूता दस बारा बरस रो बेटो भीमौ अर च्यारूं बेट्यां ने फोट्योड़ी आंख्यां सूं देखता देखता रात निकलगी अर ठाह ई नीं पड़ी।
जीवो दोन्यूं कात्या बिचालै फसगौ हो। बो डफलीजगो। घर मायं बूढो मरतंग अर एका एक छोरा ने ठेकेदार ने सुपरत करणौ।
दिनूगै जीवो फेरूं भीमा री मां ने पूछ्यो-घ्थूं कांई विचारियो? ठेकेदार पांच हजार तो अबार ई दे देसी। म्हनै तो ईणमे कीं खोट नीं लागै। दो बरसां रीज तो बात है। हां करता निकल जा ीस दो बरस तो! घर मांय बूढ़ो मरतंग है, लारे चोखो ल्याग जासी। ठेकेदार घरां आय सांमी बतलाया है, ईसो मौको फेरूं नी मिलै।’
घ्ए ठेकदार जी म्हारा बेटा ने कठै ले जासी?’कीं अत्तो पत्तो रैसी उणरो’जीवा री लुगाई बोली। घ्बे कैवे हा के कनै एक स्हैर में कारखानो है बठै काम पर लगासी’जीवो पडूत्तर देतो थको बोल्यो।
जीवा री लुगाई जीवा रे आगे किंया पग दैवे ही बा फगत इतरो कैयो के म्हारा बेटा ने म्हनै मिलता रईजो, बस! म्हारी आंख्या लरो तारो है बो..। समाज री कोजी रीत ने निभावण सारू दुखी मां कालजा माथै भाटो राख’र बेटा ने ले जावण री हामी भर दी। पण उणरो कालजो मांय सूं फाटै हो।
ठेकेदार जीवा ने पांच हजरा रिपिया रोकड़ा गिणाय दिया। जीवो उणरी मां रे लारे पूरा चोखला ने भोज दियो। बूढो मरतंग हो इण सारू भोज पंच पटेलां री आस मुजब बणायो गयो।जीवा रो नांव पूरा चोखला मायं ऊंचो व्हैगो।
जीवो रो कालजो उणरा बैटा खातर हिलोरा खावै हो। भीमा ने ठेकेदार साथै गया सात-आठ महिना व्हैगा। ओजूं कागद पण नीं आयो। बो कठै है? अर किंया है? कीं समाचार नीं मिल्या।
जीवो ठेकेदार रे घरां जावे पण बठै तो दिन रात तालो लटकतो निजर आवै। जीवा री लुगा ी रोय रोय आंख्यां रो नास कर दियो। बा बेटा ने देखण खातर रात रा पण सुपना मांय आ आस राखै। बा आस पण पूरी नीं व्ही।
एक दि आ ठाह पड़ी के ठेकेदार जिण घर मायं रैया करतो, बो तो भाड़ा रा घर हो। जीवा रै जाणै पगां हेठेकर जमी सरकगी। जीवा री लुगाई रोवे-कुरलावै अर जीवा ने कैवे-घ्था म्हारा बेटा ने बेच दियो। म्है े पैली कैवे ही के औ ठेकेदार गलत निरजां रो मिनख है। म्हनै म्हारो भीमो पाछो लाय दो। म्हैं उणरे सिवा नीं जीव सकूं।’
आ गरीबी अर समाज री कोजी रीत म्हारा बेटा ने गमाय दियो।
जीवो बेटा सारू घणा जतन करिया। अखबारां में छापा छफाया पण नतीजो कीं नीं मिलोय। मां अर बाप बेटा रा विजोग में गैला गूंगा व्हैगा।
समाज रा पंच पटेल अर दूजा दीवा ने मां रे लारे चौखो लगावण री भुलावण देवता। बे आज जीवा ने याद पण नीं करै।
जीवा री जियंा घणकरा परिवरां ने औ ठेकेदार गरीबी री दसा अर समाज री कोजी रीतां रे कारण रिपिया रो लोभ देय उजाड़ दिया हा।
एक दिन जीवो सिरेपंच रे कनै पूग्यो अर सगली बंतल करी। सिरेपंच थाणा में जाय रपट लिखा ी, जीवां ने कीं आस बंधी।
थाणेदार जीवा ने थाणा मायं बुलायो। सगली बात सुणी तो बो सांमी जीवा ने आंख्या बतावण लागौ अर ऐक हजार रिपिया लावण रो कह थाणे सूं बारै कर दियौ।
जीवो थाणा रै बारै ऊभो आंसूड़ा नितारै हो के घरां लुगाई ने कांई जवाब देस्यूं।
अबै जीवो थाणो सूं सगली आस छोड़ दी। बो एक नेताजी सूं मिलण रो विचार कर स्हैर पूग्यो। नेताजी रै घरयां जाय बो हाथ जोड़ अरदास करण लागो।
नेताजी बोल्यो-घ्जीवा..ओ मुद्दो तो ऐसेम्बली मांय गूंजे जिसो है। थांरी अरदास राजधानी तांई पूगसी।’
नेताजी री बात सुणतां ई जीवा रे मुंडा माथै नूर वापरियो। बां मन में विचारियो अबै तो म्हारो बेटो जरूर आ जासी।
कैई बरस बीतगा घणकरा थाणेदार बदलगा, राज बदलगा पण जीवा री आस आज तांई जणा जणा सूं अरदास करती निजर आवै।
अबै दोन्यूं धणी लुगाई बूढ़ा व्हैगा। बेट्यां मोट्यार व्हैगी, हाथ पीला करण जोगी व्हैगी। आज भीमो जीवा रे कनै व्हैतो तो उणरै बुढापा रो सियारो बणतो। पण समाज री आ कोजी रीत अर गरीबी जीवा रा एका एक बेटा ने मां बाप सूं अलगौ कर दियो। भैणा भई रे खातर आंसूड़ा नितारै ही।
पता लोग सूं दस पन्द्रै बीत्यां भीमो ठेकेदार रा जाल सूं छूट छानो मानो गावं पूगगो।
अंधारी धुप्प रात भीमो घर रो बारणो खुट्कायो। जीवा अर उणरी लुगाई री आंख्यां सूं नींद तो लारला दस पन्द्रे बरसां सूं नैड़े ई नीं आवै ही। बारणा री खट् खट् सुण दोन्युं धणी लुगाई बारणा सांममी दौड़या। सायत सुपना रो बहम व्हैला। थोड़ी ताल सूं बारणो फेरूं खट् खट् बाज्यो। जीवो आगल सरकाय बारणो खोल्यो तो बारै एक पच्चीस बरस री उमर जोध जवान। दोन्यूं धणी लुगाई उणरा बेटा ने नीं ओलख सक्या। बोल्या-घ्कुण होवे सा’म्हैं थारो भीमो मां बापू। ओ म्हैं थारो भीमो हूं। इतरो सुणता ई भीमा री बमां बेटा ने गले लगाय धणी रोई। आज उणरी खुसी रो पार नीं हो। मां रो आचल आसुंवा सूं तर व्हैगो। भीमना रा मां बापू, बेटा रा विजोग में साव दुबला पण व्हैगा हा। जीवो मांदो रैवण लागगो हो। बरस ऐक रै पछै जीवो पण सुरग सिधाय गियो। भीमो उणरा बापू ने कांधो दे पुरखां री रीत रो दस्तू करयो पण अबकै वो जीवा रे लारे चोखो लगावण आली लोगां री भुलावण ने अंगेज नीं करी। ि ण कोजी रीत ने बंद करण रो बंद करण रो बीड़ो उमरा घर सूं उठाय लियो। जो गलती जीवो किवी वा गलती भीमो करण ने मंजरू नी हो। भीमो समाजरा पंच पटेलां री आख्यां में खटकण लागो। भीमा ने समाज में घणी मानता नीं देवता। भीमो भरांत राखण री रपट दो चार लूंठा लूंठा पंचा रे नांव सूं मानवाधिकार आयोग में दर ज कराई तो घणकरा भीमा रे सांमी व्हैग अर इण कोजी रीत ने छोड़ण री आवाज उठाई। बखत पाण सगलो समाज भीमा री बात अंगेज कर ली क्यूंकै इणें एकला भीमा रो कीं सवारथ नीं हो। इण कोजी रीत ने त्याग करण सूं घणकरा घर उजड़गा बचगा।
पन्नालाल कटारिया : झूमको बातां री कहांणी संग्रै 3: JHMAKO BATAN RI KAHANI SANGRAH 3
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