झांसी की यात्रा का यात्रा वृत्तान्त JHANSI YATRA KA YAATRA VRITTANT
JHANSI YATRA KA YAATRA VRITTANT
झांसी की यात्रा का यात्रा वृत्तान्त JHANSI YATRA KA YAATRA VRITTANT
झांसी जिसका नाम सुनते ही रानी लक्ष्मीबाई की वीरता याद आ जाती है मन में एक कुलबुलाहट सी हुआ करती थी कि एक बार झाँसी देखे वहां का किला देखे जहाँ से रानी लक्ष्मीबाई कूदी थी वह स्थल देखे खैर एक दिन मन में आया और लखनऊ से यहाँ की सीट रेलगाड़ी में बुक कर ली अकेले की तो अब मै अकेला ही झांसी घूमने जा रहा था और ये बात है जनवरी २०२२ की है |
मेरी ट्रेन लखनऊ से रात के ग्यारह बजे की थी मै तय समय से पहले ही लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर था खैर ट्रेन राईट टाइम थी ट्रेन आई मैंने अपनी सीट ढूंढ़ी और बैठ गया अब थोड़ी ही देर बाद ट्रेन लखनऊ को बाय बाय बोल रही थी यकीन मानिये ये एक सुखद अनुभव होता है जब आप कही घूमने जा रहे हो ट्रेन में बैठे और ट्रेन चल दे अच्छा मेरी ट्रेन साबरमती एक्सप्रेस थी जिसकी टाइमिंग लखनऊ चारबाग में 11 बजे है और यह ट्रेन झांसी सुबह 5 बजे पहुँच जाती है |
खैर यह जो ट्रेन का सफ़र होता है उसमे भी बड़ा मजा आता है उत्सुकता होती है जैसे मुझे थी कि झांसी कैसा होगा रेलवे स्टेशन कैसा होगा प्लेटफ़ार्म नम्बर एक किधर होगा ऑटो कहा मिलेगा होटल कैसा मिलेगा आदि आदि खैर यही सब सोचते सोचते मुझे पता नहीं कब झपकी आ गई हालाँकि यह झपकी कोई ज्यादा नहीं थी थोड़ी ही देर में आँख खुल गई थी और मै उरई रेलवे स्टेशन पर था अगला स्टेशन झाँसी ही था |
साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन लखनऊ से चलती है और उन्नाव , कानपुर , पोखरायां , कालपी , उरई रुकते हुए वीरांगना लक्ष्मीबाई ( झाँसी ) रेलवे स्टेशन आ जाती है मै करीब सवा 5 बजे झांसी के रेलवे स्टेशन पे था हलकी हलकी बरसात हो रही थी झाँसी का रेलवे स्टेशन काफी साफ़ सुथरा था खैर थोड़ी देर मै रेलवे स्टेशन पर बैठा रहा की सुबह हो जाय और बारिश कम हो जाय लेकिन यार दिल नही माना और हलकी हलकी बरसात की फुहार में ही मै बाहर आ गया और पैदल ही चल दिया |

अब थोड़ी सी बात झाँसी रेलवे स्टेशन अरे माफ़ करियेगा झाँसी रेलवे स्टेशन का नाम अब वीरांगना लक्ष्मीबाई हो गया है जैसे ही मै ट्रेन से उतरा झांसी का रेलवे स्टेशन देख कर मन प्रसन्न हो गया मैंने सबसे पहले तो वीरांगना लक्ष्मीबाई लिखे हुए बोर्ड के पास सेल्फी ली , बहुत ही उत्तम साफ़ सफाई थी बुन्देलखण्ड के इतिहास को बैनर के माध्यम से रेलवे स्टेशन पर ही दर्शाया गया था फिर आप जैसे ही रेलवे स्टेशन से बाहर आते हो सामने ही एक लहराता तिरंगा और वीरांगना लक्ष्मीबाई की प्रतिमा दिखाई देती है जो की देशभक्ति की लहर पैदा कर देती है बाकी झांसी का रेलवे स्टेशन बाहर से भी सुन्दर है खासकर रात में जब रंग बिरंगी रौशनी में आप इस स्टेशन को देखेंगे तो मजा आ जायेगा |
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एक दो होटल दिखे लेकिन उनमे सब सोते दिखाई दिये तब तक झांसी की सुप्रसिद्ध बसंत यादव की चाय की दुकान दिखी जहाँ मैंने चाय की चुस्की ली निसंदेह चाय बेहतरीन थी थकान कम हो गई अब एक नयी उर्जा से आगे बढ़ा और एक गली में एक होटल देख वहां एक कमरा लिया और सामन रखके लेट गया तुरंत ही नींद आ गई जब नींद खुली तो सुबह के 9 बज रहे थे अब फटाफट नहा धो के रेडी हो गया और आ गया बाहर अब बारी थी घुमक्कड़ी की सबसे पहले जाना था मुझे मेजर ध्यान चंद की प्रतिमा की और और यहाँ जाने के लिये सीपरी बाजार से ऑटो मिल गया जिसने मुझे मेजर ध्यान चंद की प्रतिमा के समीप उतार दिया |
अब थोडा सा पैदल चलने के बाद आ गई सीढियां इन सीढियों के माध्यम से ही मेजर ध्यान चंद की प्रतिमा तक जाना था आपको बता दू यह प्रतिमा एक पहाड़ी पर है और काफी ऊंचाई पर है सीढियां चढ़ते चढ़ते आप थक जायेंगे रास्ते में गन्दगी भी है आखिरकार मै प्रतिमा तक आ गया था बहुत ही विशाल और भव्य प्रतिमा बनी हुई है जिसमे ध्यान चंद जी को हॉकी खेलते हुए दिखाया गया है यही पे I LOVE JHANSI लिखा हुआ एक बोर्ड है जो की इस तरह से लगाया है की इसकी फोटो लेना बड़ा कठिन काम है |
जहाँ पर यह प्रतिमा है यहाँ से झांसी शहर का बेहतरीन व्यू मिलता है तो मैंने भी देर न करते हुए एक आध फोटो व्यू की और अपनी सेल्फी के साथ व्यू की ले डाली यहाँ पर धूप और बरसात से बचाव के लिए प्रशासन ने एक बरामदा सा बनवाया और इस बरामदे में बैठने के लिये सीट भी है खैर अब मै यहाँ से वापसी कर रहा था |

भूख जोरो की लगी थी तो अब मै सीपरी बाज़ार आकर वृन्दावन स्वीट्स रेस्टोरेंट में बैठ गया थोड़ी सी पेट पूजा की फिर बसन्त यादव की चाय के पास दो प्राचीन मंदिर है दोनों आमने सामने है नाम है श्री श्री १००८ गोपाल जी का मंदिर और श्री श्री १००८ रघुनाथ जी का मंदिर यहाँ मैंने दर्शन किये फिर अपने रूम आकर आधे घंटे आराम करके निकल पड़ा चित्रा चौराहे से पंचतंत्र पार्क की तरफ यह पार्क चौराहे के पास ही था |
पार्क देखा जो की बच्चो के लिए बढ़िया है और पंचतंत्र पार्क में पंचतंत्र की कहानियो की तरफ ही जगह जगह जानवरों के कार्टून की प्रतिमाये बनी है अब यहाँ से मैंने ऑटो किया और अ गया रानी लक्ष्मी बाई पार्क इस पार्क के अन्दर गया बढ़िया शांत और हरी भरी जगह है रानी लक्ष्मीबाई की एक प्रतिमा बनी है यही पास में ही राष्टकवि मैथिलीशरण गुप्त पार्क भी है आप इन दोनों पार्क में घुमियेगा यहाँ ज्यादातर झाँसी के स्थानीय जागिंग करने आते है यहाँ एक ओपन जिम भी है और सबसे बढ़िया यहाँ की हरियाली |
इनके दोनों पार्क के समीप ही राजकीय संग्राहलय है जहाँ झांसी से जुड़े तमाम अवशेष रखे हुये यदि आप इतिहास प्रेमी है तो इस संग्रहालय में आपको समय जरूर लगेगा आपको बता दे रानी लक्ष्मीबाई पार्क , राष्ट्कवि मैथिलिशरण गुप्त पार्क , राजकीय संग्रहालय , झांसी का किला सब आसपास ही है राजकीय संग्रहालय देखने के बाद मै किले की तरफ बढ़ लिया और किले की विशाल दीवारे दूर से ही दिखाई दे रही थी रास्ते में डॉ वृन्दावन लाल वर्मा पार्क पड़ा जो की बढ़िया था हरा भरा सकून देने वाला लेकिन मै इस पार्क में नहीं गया|
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मै किले की तरफ बढ़ रहा था दूर से किले की विशाल दीवारे और ऊपर लगा तिरंगा देशभक्ति को बढ़ा रहा था मै बढ़ गया सीधे किले के टिकट काउंटर की तरफ 25 रूपये की टिकट लेकर आ गया किले के अन्दर जहाँ इस किले का मैप लगा था मैप की फोटो ली और समझने की कोशिश की कि कहाँ क्या है |
अब सबसे पहले मैंने किले के अन्दर कड़क बिजली तोप देखी जो की देखने में बढ़िया थी और चलाने में कैसी थी ये तो गुलाम गॉस खां साहब जाने क्यूंकि वही इसे इस्तेमाल करते थे इसके बाद मैआगे बढ़ा और पंचमहल देखा ऊपर जाकर कुदान स्थल मतलब जहाँ से रानी कूदी थी वह स्थल देखा यकीन करिए जब मैंने कुदान स्थल से नीचे देखा तो मेरी तो रूह काँप गई कि कैसी रानी कूदी होंगी कमाल की वीर थी रानी यही पास में झंडा बुर्ज देखा और ऊपर से शहर का बढ़िया सा व्यू लिया |

झांसी का किला घूमने से जुडी हुई समस्त जानकारी जैसे यहाँ कैसे पहुंचे टाइमिंग क्या है टिकट कितने की है किले के अन्दर क्या क्या देखे यह किला हमको महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता की याद दिलाता है उत्तर प्रदेश के झांसी के इस ऐतिहासिक किले को देखने के लिए देश भर से पर्यटक आते रहते है |
झांसी का किला
उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर झांसी जो की अपने गौरवशाली इतिहास के लिए दुनिया भर में जाना जाता है रानी लक्ष्मीबाई के किले का निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह जूदेव ने सन १६१३ में करवाया था , भारतीय स्वंत्रतता संग्राम के इतिहास में यह किला बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है अच्छा झांसी का किला जब बनवाया गया था उस समय इस जगह का नाम बलवंतनगर था जो की बाद में झांसी हो गया था |
कैसे पहुंचे इस किले तक – झांसी का किला कहाँ स्थित है ?
देखिये नाम से पता चल जाता है की यह किला भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के एक जिले झांसी के अन्दर एक पहाडी पर स्थित है अब बात आती है आप यहाँ तक आये कैसे तो देखिये रानी लक्ष्मीबाई के इस किले को देखने के लिये आपको सबसे पहले झांसी शहर आना होगा अब झांसी आने के लिए भारत के लगभग हर बड़े शहर से ट्रेन मिल जाएगी फ्लाइट से आना हो तो यहाँ का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट ग्वालियर में है |
वैसे सबसे बेस्ट तो झांसी के लिये ट्रेन ही है बाकी आप अपनी गाडी या बस द्वारा भी यहाँ आ सकते है क्यूंकि यह शहर सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है अब आप झांसी आ गए मैंने मान लिया की आप झांसी रेलवे स्टेशन या बस स्टैण्ड पर है अब आपको किसी से बोल दीजिये की झांसी का किला देखने जाना है हर व्यक्ति आपको ऑटो , या ई रिक्शा या बस की तरफ बता देगा की यहाँ से ये ऑटो या रिक्शा किला जाएगा आपका मन और बजट हो आप अपना एक ऑटो बुक भी कर सकते है |
शहर झांसी में लगभग हर व्यक्ति रानी लक्ष्मीबाई के किले के बारे में जानता है तो आपको यहाँ तक आने में किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं होगी |

रानी लक्ष्मीबाई किले की टाइमिंग और टिकट प्राइस
Jhansi ke kile ki timing
टाइमिंग मतलब की झांसी के किले के खुलने और बंद होने का समय तो आपको बता दे यह किला प्रत्येक दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यटकों के लिये खुला रहता है |
Jhansi ke kile ki Ticket – किला घूमने का प्रवेश शुल्क
आइये आपको झांसी का किला घूमने के प्रवेश शुल्क एन्ट्री फी के बारे में बताते है सबसे पहले यह जान लीजिये की 15 वर्ष तक के बच्चो के लिये प्रवेश निशुल्क रहता है |
बाकी लोगो के लिये प्रवेश शुल्क नीचे बताये है यह फी जनवरी २०२२ की है –
कटागरी | रूपये |
भारतीयों के लिए | नकद मतलब कैश से 25 रूपये और पीओएस द्वारा 20 रूपये |
विदेशी नागरिको के लिये | नकद 300 रूपये और पीओएस द्वारा 250 रूपये |
रानी लक्ष्मीबाई के किले के अन्दर क्या क्या देखे
अब आप जब किले के प्रवेश मार्ग पर आओगे तो आपको सबसे पहले एक रूट मैप का बोर्ड दिखाई देगा जिसमे किले के अन्दर के सभी देखने वाले स्थलों के नाम और उनकी किले के अन्दर की लोकेशन दिखाई देगी आप सबसे पहले उस बोर्ड को समझ ले तो बेहतर रहेगा या फिर वही पर आपको गाइड की भी सुविधा मिल जायेगी यदि आप किले की हर एक चीज और इतिहास को जानना चाहते है तो आप गाइड ही कर ले |

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आइये अब हम आपको किले के अन्दर के उन सभी खास खास स्थलों की जानकारी देते है जहाँ आपको जरूर जाना चाहिये –
कड़क बिजली तोप
कड़क बिजली तोप झाँसी के किले में जैसे आप एन्ट्री करोगे तो सबसे पहले ही दिखाई देगी और कड़क बिजली तोप देखकर आपको देशभक्ति और वीरता से ओतप्रोत फीलिंग आयेगी इस तोप का आकार काफी बड़ा है एक और बात इस तोप में मुझे जंग बिलकुल नहीं दिखाई दी थी , गुलाम गौस खां साहब कड़क बिजली तोप को चलाते थे इस तोप की आवाज बहुत तेज थी तो आप कड़क बिजली तोप को जरूर देखियेगा |

पंच महल
यह राजा बीरसिंह जूदेव द्वारा निर्मित करवाया गया एक पंच तलीय महल था रानी लक्ष्मीबाई जी ने इस महल के भूतल का प्रयोग सभा कक्ष के रूप में किया था और जो इस महल का प्रथम तल था वहां रानी ठहरती थी |
गणेश मन्दिर
गणेश मन्दिर झांसी का किला का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है आप यहाँ जरूर आइयेगा यह गणेश मंदिर दो मंजिल का है यह मंदिर मराठा शैली में बना हुआ है , रानी लक्ष्मीबाई गणेश मन्दिर में रोजाना पूजा करने आती थी किले के अन्दर बने इस गणेश मन्दिर में पूजा करने से मनोकामनाये पूरी होती है ऐसी भी इसकी मान्यता है |

भवानी शंकर तोप
गणेश मन्दिर के पास से जो सीढियां ऊपर गई है जब आप वहां जाओगे तो आपको एक और तोप दिखाई देगी जिसका नाम भवानी शंकर तोप है |

बारादरी
गणेश मन्दिर के समीप ही स्थित है बारादरी जिसका निर्माण राजा गंगाधर राव ने अपने भाई के लिये सन 1838 से 1858 के मध्य करवाया था , यह बारादरी एक चौकोर से चबूतरे पर बनाई गई है इस बारादरी की छत को एक छोटे से जलाशय के रूप में बनवाया था जिससे बारादरी में फौव्वारे चलते थे |

शिव मन्दिर
किले के अन्दर बना हुआ शिव मंदिर अत्यधिक सुन्दर है इस मंदिर का शिवलिंग ग्रेफाइट का है कहा जाता है इस शिव मंदिर में भी रानी पूजा करने आती थी इस मंदिर की स्थापत्य शैली मराठा और बुन्देला है |
कुदान स्थल
यह वही जगह है जहाँ से रानी लक्ष्मीबाई ने अपने दत्तक पुत्र के साथ घोड़े पर बैठकर छलांग लगाई थी यहाँ से जब आप नीचे देखोगे तो एक बार आश्चर्यचकित हो जाओगे की इतनी उंचाई से आखिर कैसे कूद गई थी रानी लेकिन यह एकदम सत्य है निसंदेह रानी लक्ष्मीबाई एक वीर निडर महिला थी |
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झंडा बुर्ज
झंडा बुर्ज झांसी का किला का सबसे ऊँचा स्थल है यहाँ पर तिरंगा लहराता रहता है यहाँ से आपको पूरा झांसी शहर दिखाई देता है |

ये हमने आपको झांसी के किले के खास खास पर्यटन स्थल के नाम बताये है इनके अलावा आप शंकरगढ़ , दीवान ए आम , काल कोठरी , फांसी घर , आमोद उद्यान , गौस खां की कब्र मोती बाई की कब्र , खुदा बक्श की कब्र भी देख सकते है |
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यहाँ घूमने कब किस मौसम में जाये
देखिये झांसी का किला उत्तर प्रदेश में है तो यहाँ गर्मी के दिनों में अत्यधिक गर्मी पड़ती है तो यदि आपको गर्मी से तकलीफ होती है तो आप यहाँ गर्मी में आने से बचे वैसे जाने को आप यहाँ हर मौसम हर महीने में जा सकते है लेकिन मेरे हिसाब से किला देखने का सबसे बढ़िया टाइम ठंडी का है आप अक्टूबर से मार्च के मध्य यहाँ आये तो ज्यादा आनंद उठा सकेंगे |
झाँसी के किले में होने वाला लाइट एंड साउंड शो
इस किले में शाम को एक लाइट एंड साउंड शो आयोजित होता है जिसमे आपको रानी के जीवन के बारे बताया जाता है और 1857 के स्वंत्रतता संग्राम के बारे में बताया जाता है यह शो बहुत ही भव्य होता है इसमें तीन दीवारों को मिलकर एक स्क्रीन की तरह दिखाते है यहाँ आपको ऐसा लगता है जैसे सब आपके सामने हो रहा हो यह शो लगभग आधे घंटे का होता है इस शो का टिकट 250 रूपये का है और टाइमिंग शाम की है |
अन्य काम की जानकारियां
- किले के अन्दर पीने के पानी वाशरूम इत्यादि की व्यवस्था है |
- आप झांसी का किला घूमने आये तो कम से कम 2-3 घंटे लेकर आये |
- अगर आप गर्मियों में किला घूमने आ रहे है तो कृपया कोशिश करे की सुबह ही आ जाये |
- किले के अन्दर रात में होने वाला साउंड एंड लाइट शो अवश्य देखे |
- अगर इतिहास में रूचि है तो आप गाइड कर ले |
- रानी लक्ष्मीबाई का किला यूनेस्को की धरोहर लिस्ट में शामिल है |
- इस किले के बाहर आपको स्ट्रीट फ़ूड मिल जायेंगे आप स्वाद जरुर ले |
- इस किले को दीवारे लगभग 20 फीट मोटी है |
- यह किला जिस पहाड़ी पर बना है उसका नाम बंगारा है |
रानी लक्ष्मीबाई के किले के आसपास घूमने वाली जगहे
देखिये वैसे तो आप मेरी Place to visit in Jhansi – झांसी घूमने से जुड़ी समस्त जानकारी इस पोस्ट में झांसी से जुडी समस्त जानकारी पा जायेंगे लेकिन फिर भी मै यहाँ पर आपको झांसी के किले के पास के कुछ खास खास पर्यटन स्थल बताये देता हु –
रानी लक्ष्मबाई पार्क
मैथिली शरण गुप्त पार्क
पुरातत्व संग्रहालय
डॉ वृन्दावन लाल वर्मा पार्क
रानी महल
फिर नीचे आकर गुलाम गौस खां , मोती बाई , खुदा बक्श की समाधियाँ देखि फिर आ गया किले के मुख्य आकर्षण गणेश मन्दिर की तरफ कहा जाता है की दो मंजिला बने इस गणेश मन्दिर में रानी नित्य पूजा करने आती थी यह मराठा शैली में बना हुआ मन्दिर है गणेश मंदिर के पास से ही एक जीना ऊपर गया है अब मै इस जीने से ऊपर गया तो देखा यहाँ भवानी शंकर तोप राखी है अब पुनः जीने से नीचे आया था और बढ़ लिया बारादरी की तरफ जिसे रजा गंगाधर राव ने अपने भाई के लिए बनवाया था |
कुल मिलाकर मुझे झांसी की रानी का किला बहुत ही पसंद आया यहाँ आप रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से रूबरू होते है और अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस करते है ढेर सारे फोटो क्लिक करने के बाद मेरा अगला पॉइंट था रानी महल जानकारी की तो पता लगा की ऑटो ई रिक्शा जाते है और रानी महल किले पास ही है आप पैदल भी जा सकते है तो मैंने रास्ते का मजा लेते हुये पैदल जाने का निर्णय लिया और स्थानीय लोगो से जानकारी करते करते आ गया रानी महल यहाँ पहले रानी रहा करती है यह महल बहुत ही खूबसूरत है यहाँ आप जरूर आइयेगा |
अरे सुनिए एक और बात यही कही पे झांसी के प्रसिद्ध दाऊ के समोसे मिलते है मुझे जानकारी नहीं थी तो मै स्वाद न ले सका लेकिन आप किसी भी स्थानीय व्यक्ति से जानकारी करके दाऊ के समोसे जरूर चखियेगा अब मै राजा गंगाधर राव की छतरी की तरफ जाने के लिए पूछताछ करने लगा तो एक सज्जन बोले देख भाई बहुत ज्यादा दूर नहीं है मजा लेते हुए झाँसी की सड़को को देखते हुये पैदल ही निकल जाओ या भाई बैठो रिक्शे पे सीधे जाओ मैंने पैदल विकल्प चुना |
थोड़ी दूर जाकर आ गया था लक्ष्मी गेट और इस गेट में ही श्री हनुमान मंदिर है इसी गेट से होकर रास्ता गया है राजा गंगाधर राव की छतरी की तरफ का इधर की सड़के थोड़ी तंग है लक्ष्मी गेट पर हनुमान जी का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ा थोड़ी ही दूर पे महाकाली मन्दिर आ गया तो मै मंदिर के मुख्य द्वार से अन्दर गया यहाँ ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं थी और एक दिव्य वातावरण था काफी शान्ति का यहाँ एह्सास हो रहा था मै पैदल आ रहा था तो थका था थोड़ी देर यही बैठा माँ का आशीर्वाद लिया महाकाली मंदिर का प्रांगण बड़ा सा है और पेड़ पौधे भी लगे है तो ठंडा भी रहता है |

अब जब मै पैदल था तो रास्ते में पड़ने वाले हर एक स्थल को देख रहा था श्री महाकाली मंदिर के पास ही श्री श्री १००८ महावीर जी मंदिर है जो सफ़ेद रंग का भव्य बना हुआ है अब मै राजा गंगाधर राव की छतरी के समीप था यहाँ पर लक्ष्मी ताल है जिसमें मरम्मत का कार्य हो रहा था मेरे ख्याल से लक्ष्मी ताल को और ज्यादा सुन्दर बनाये जाने की कोशिश की जा रही थी अब आपको बता दू राजा गंगाधर राव की छतरी की बनावट भी भव्य है इसे रानी लक्ष्मीबाई ने बनवाया था राजा गंगाधर की समाधी को एक चौकोर चबूतरे के ऊपर बनाया गया है और चारो तरफ हरियाली है एक छोटा सा जलाशय भी इसी में था लेकिन उसका पानी साफ़ नहीं था |
राजा गंगाधर की समाधी के सामने ही एक बड़ा ही खूबसूरत सफ़ेद रंग का मंदिर है जिसका नाम नवग्रह मंदिर है यहाँ भी आप दर्शन हेतु जा सकते है अब मेरा अगला पॉइंट था लक्ष्मी मंदिर जो बिलकुल राजा गंगाधर की समाधी के सामने ही था लक्ष्मी मंदिर में रानी लक्ष्मीबाई रोज पूजा करने आती थी मुख्य मंदिर तक जाने के लिये आपको सीढियों से जाना होगा यह मंदिर भी पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है आप लक्ष्मी मन्दिर जरूर आइयेगा तो अब मै यहाँ से निकलने की सोच रहा था और दिमाग में अगला पॉइंट था सखी के हनुमान मन्दिर |


जानकारी की तो नाम तो सबने सुना था लेकिन सब यही कह रहे शहर के बाहर है ऑटो शायद ही मिले खैर मै लक्ष्मी गेट तक वापस आ गया वहां मुझे एक ई-रिक्शा वाला मिला मैंने उससे बात की वो सखी के हनुमान मन्दिर चलने के लिये तैयार हो गया अब मै और ई-रिक्शा वाला दोनों दौड़ पड़े मंदिर की ओर मतलब भर की दूरी थी और मंदिर हाईवे पर ही था लो जी रोड में सखीके हनुमान मन्दिर लिखा दिखाई दिया और मुख पे मेरे प्रसन्नता के भाव चमक उठे |
सखी के हनुमान मंदिर का झांसी में बड़ा नाम सुना था जब मन्दिर पहुंचे तो देखा एक विशाल प्रांगण बाहर प्रसाद इत्यादि की दुकाने और जो मन्दिर का मुख्य गेट था वो अद्भुत था श्रीराम की धनुष लिए प्रतिमा और श्री राम के दोनों और बने थे शेर और ऊपर लहरा रहा था भगवा ध्वज राम भक्ति नस नस में घुस गई थी इतना ही देखकर , जैसे ही मन्दिर के अन्दर प्रवेश किया सामने भगवान शिव और माँ पार्वती की अत्यंत सुन्दर प्रतिमाये देखकर मन राम भक्ति के साथ साथ शिव भक्ति में भी लीन हो गया सामने ही हनुमान जी का मंदिर था और भी इस प्रांगण में कई मंदिर थे और सारे बड़े ही भव्य बनाये गए थे |

अब मेरे बहुत ही सुन्दर दर्शन हो गये थे अब मैंने उसी ई-रिक्शे वाले से बोला भाई इलाइट उतार दे वो बोला अब जाओगे कहा मैंने कहा यार मन तो है सैंट जुड चर्च जाने का लेकिन पता नहीं कहा पे है वो बोला भैया मैप में डालो वही चलते है तो मैंने पहले इलाईट चलो वही कही है हम दोनों बड़ी तेजी से इलाईट आ गये और इलाईट से थोड़ी ही दूरी पे थी सैंट जूड चर्च लेकिन चर्च के गेट पर तैनात सिक्यूरिटी गार्ड ने बताया की चर्च बंद है सुबह 7 बजे आना मैंने कहा कोई बात नहीं बंद है लेकिन क्या बाहर से देखने की इजाजत है तो उसने बोला अरे बिलकुल जाओ देख आओ |
तो सड़क पे बने गेट से चर्च थोड़ी दूरी पर थी वहां मै पैदल ही गया बाहर से यह चर्च बहुत ही सुन्दर थी इसकी उत्कृष्ट बनावट काबिलेतारीफ थी मैंने फोटो वोटो लिए और अब जब दुबारा झांसी आऊंगा तो सैंट जूड चर्च के अन्दर भी जाऊंगा मै बाहर आया और उस सिक्यूरिटी गार्ड को धन्यवाद बोलकर ऑटो से इलाईट चौराहा आ गया अब दिन ख़तम हो गया था करीब 6 बज रहे थे अब मै इलाईट चौराहा घूम रहा था ये झाँसी की सबसे खास जगह है मै तो रुका था सीपरी बाज़ार की तरफ लेकिन यदि आप इलाईट की तरफ रुके तो और भी बढ़िया है |

इलाईट पर झांसी के कई प्रसिद्ध खाने पीने के अड्डे है जैसे गीता भोजनालय , जनकस रेस्टोरेन्ट , अवध फ़ूड , वंदना स्वीट्स , हवेली रेस्टोरेंट , शिल्पी होटल आदि मैंने खाना इधर नहीं खाया सोचा चलो जहाँ रूम है चित्रा चौराहा सीपरी बाजार वहा भी टहल लेंगे और वही भोजन कर लेंगे तो अब मै आ गया था सीपरी बाजार और अपने रूम में जाकर लेट गया करीब रात के 9 बजे उठा और सीपरी बाज़ार घूम रहा था इस बाज़ार में आपको जरूरत का हर एक सामान मिल जायेगा काफी बड़ी बाजार है मुझे रसबहार नाम का एक रेस्टोरेन्ट दिखाई दिया मै उसमे घुस गया भूख जोरो से लगी थी मैंने यहाँ की एक स्पेशल थाली माँगा ली जो की बहुत ही स्वादिष्ट और पेट भर जाय ऐसी थी खाने में मजा आ गया |

थोडा इधर उधर घूमकर एक फिर से बसंत यादव की चाय की चुस्की ली और आ गया रूम में और आज का दिन मैंने पूरा घूमा था झाँसी को लेकिन अब भी झाँसी की इतनी घूमने वाली जगहे बाकी थी की उन्हें घूमने में दो दिन तक लग जाए वैसे ये सभी पॉइंट शहर से बाहर थे और ज्यादातर झील और बांध थे जैसे गढ़मउ झील , पहुज बाँध , सुकमा दुक्मा बाँध , माताटीला बाँध आदि अब जब दुबारा झाँसी आना होगा इस बार सबसे पहले यही सब घूमूँगा यही सब सोचते सोचते कब नींद ने मुझे अपने आगोश में ले लिया पता नहीं तो झाँसी यात्रा के किस्से यही समाप्त होते है लेकिन यह मेरी ट्रिप का एन्ड नहीं है अगले दिन मै उठकर ओरछा और बरुआसागर गया था वो किस्से अब ओरछा के किस्से वाली पोस्ट में सुनाऊंगा तब के लिये नमस्कार