- यहाँ कैसे पहुंचे
- भोजन की व्यवस्था
- पर्यटकों के लिये यहाँ के आकर्षण के केंद्र
- गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब
- सरोवर
- पीपल का वृक्ष
- दूध वाला कुवां
- गुरुद्वारा श्री अलमस्त साहिब
नानकमत्ता ये नाम सुना था लेकिन यहाँ की ज्यादा जानकारी नहीं थी तो पहले हमने जानकारी एकत्र की फिर यह पोस्ट लिखी आज आपको इस पोस्ट में बताएँगे कि गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब कहाँ है यहाँ कैसे जाया जय यहाँ कहाँ रुके क्या खाये और यहाँ दर्शन करने के लिये क्या क्या विकल्प है | सबसे पहले आप यह जान लो कि Nanakmatta Sahib उत्तराखण्ड के उधमसिंहनगर के खटीमा के समीप एक बहुत ही प्रसिद्ध सिखों का धार्मिक स्थान है जहाँ आपको दर्शन करने के लिये पवित्र गुरुद्वारा मिलेगा इसके अलावा यहाँ एक झील है जो की बस देखते ही बनती है |
गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब कैसे पहुँचे कहाँ रुके क्या-क्या देखे भोजन आदि की जानकारी GURUDWARA SHRI NANKMTTA SAHIB YATRA
नानकमत्ता साहिब
नानकमत्ता गुरुद्वारा सिखों का एक बहुत ही पवित्र स्थल है यहाँ हर साल हजारो की संख्या में श्रद्धालु आकर गुरूद्वारे में मत्था टेकते है , सिखों के पहले गुरु श्री नानकदेव जी यहाँ पर रुके थे और सिखोंके छठवे गुरु श्री हरगोविंद जी भी इसी स्थल पर आये थे तो जब दो दो गुरु नानकमत्ता आये हो तो इस जगह का महत्त्व क्या होगा ये बताने की हमे जरुरत नही है निसन्देह Nanakmatta Sahib एक बहुत ही ऐतिहासिक और पावन जगह है |
इस गुरूद्वारे के पास में ही एक झील है जिसे नानक सागर नाम से जानते है जहाँ आप बोटिंग भी कर सकते हो बाकी नानक सागर एक बहुत ही मनोरम जगह है यहाँ आप घंटो बैठ के प्रकृति के शांत वातावरण में खुद को तरोताजा महसूस करोगे , यहाँ की ठंडी-ठंडी शुद्ध हवा आपको एक अलग ही अनुभव देगी तो आइये गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब दर्शन करने की सम्पूर्ण जानकारी को जान लेते है |
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यह स्थल उत्तराखण्ड राज्य के उधमसिंह नगर में है और अगर ज्यादा जानकारी दे तो यह खटीमा और सितारगंज के बीच स्थित है , खटीमा से नानकमत्ता की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है वही सितारगंज से इसकी दूरी लगभग 13 किलोमीटर है , यदि आप कभी Maa purnagiri के दर्शन करने जाए जो की टनकपुर में है तब भी यहाँ आ सकते है क्यूंकि टनकपुर से नानकमत्ता की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है |
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अगर हम लोग देश की राजधानी नई दिल्ली से नानकमत्ता की दूरी की बात करे तो यह लगभग 300 किलोमीटर है और उत्तर प्रदेश के बरेली से से यहाँ की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है |
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यदि आप इस गुरुद्वारा के दर्शन हेतु हवाई जहाज से आना चाहते है तो आपको बता दे यहाँ का सबसे नजदीकी एअरपोर्ट पंतनगर है जो की यहाँ से मात्र 55 किलोमीटर की दूरी पर है और एअरपोर्ट से आप गुरूद्वारे तक टैक्सी से आ सकते है |
इस स्थान पर आप ट्रेन के द्वारा भी आ सकते है यहाँ के नजदीकी स्टेशन खटीमा है और खटीमा से नानकमत्ता आप बस से टेम्पो से अपनी गाड़ी से आ सकते हो खटीमा का कोड KHMA है , इसके अलावा यहाँ के नजदीकी रेलवे स्टेशन रुद्रपुर सिटी ( RUPC ) और लाल कुंवा ( LKU ) है वैसे बेस्ट खटीमा ही है क्यूंकि खटीमा से यहाँ की दूरी महज 15 किलोमीटर है और जो भी ट्रेन टनकपुर माँ पूर्णागिरि की तरफ जाती है वो सभी खटीमा में रूकती है |
अगर ट्रेन की बात करे तो त्रिवेणी एक्सप्रेस जो शक्तिनगर सोनभद्र प्रयागराज लखनऊ बरेली पीलीभीत होते हुये खटीमा तक आती है |
इस रूट की एक और पॉपुलर ट्रेन है पूर्णागिरि जन शताब्दी है जो दिल्ली गाज़ियाबाद हापुर मुरादाबाद बरेली होते हुए खटीमा तक आती है इन दोनों के अलावा खटीमा से पीलीभीत के बीच भी ट्रेन्स है |
रोड द्वारा
सड़क मार्ग से भी आप यहाँ पर बड़े ही आराम से पहुँच सकते है यह भारत के सभी मुख्य शहरो से जुड़ा हुआ है आपको दिल्ली के ISBT आनंद विहार से खटीमा के लिए दिनभर बस मिल जाएँगी जिनका किराया लगभग 385 रूपये होगा बाकी आप अपनी भी गाड़ी से यहाँ आ सकते हो आपको कोई भी दिक्कत नहीं होगी |
अगर आप माँ पूर्णागिरि के दर्शन करने गये हो तो आप टनकपुर से बस से भी यहाँ आ सकते हो आप टनकपुर बस स्टैंड से रुद्रपुर काशीपुर वाली बस पकड़ो जो आपको नानकमत्ता उतार देगी |
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आप कही भी घूमने दर्शन करने जाते हो तो सबसे पहले वहा कैसे पहुंचा जाय सवाल आता है जिसका उत्तर आपको ऊपर मिल गया है अब बात करते है यहाँ आकर कहाँ रुका जाये तो देखिये आप खटीमा में रुक सकते हो वहां आपको होटल मिल जायेंगे लेकिन सबसे बेहतर विकल्प है की आप नानकमत्ता की सराय में रुके सराय का नाम श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब निवास है जो की आपको नानकमत्ता गुरुद्वारा कैम्पस में मिल जाएगी |
श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब निवास में आपको साधारण कमरे जिनमे अटेच वाशरूम होंगे महज 100 रूपये में मिल जायेंगे वही यदि आपको AC रूम चाहिये तो वो आपको 500 रूपये में मिल जायेंगे और यह सराय अत्यंत बड़ी और हरी-भरी शांत जगह है यहाँ आपको बड़ा ही सुकून मिलेगा |


इसके अलावा गुरुद्वारा के समीप ही कुमाऊ विकास मंडल लिमिटेड का एक रेस्ट हाउस है जहाँ भी आपको रुकने की व्यवस्था हो जाएगी हालाँकि यहाँ रूम थोड़े महंगे मिल सकते है यहाँ के रेट 500 रूपये से ऊपर ही रहते है अगर आप यहाँ रुकना चाहते हो तो http://kmvn.in/ इस वेबसाइट से बुकिंग कर सकते हो |
अब हम लोग बात करेंगे नानकमत्ता में भोजन की यहाँ आपको कई होटल मिल जायेंगे जहाँ आप अपने मन का खाना खा सकते हो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन यदि हम नानकमत्ता गुरुद्वारा कैम्पस की बात करे तो दोस्तों यहाँ लंगर चलता रहता है जिसे श्री गुरु का लंगर बोलते है यहाँ आपको निशुल्क भोजन जिसको हम तो प्रसाद ही बोलेंगे मिलता है और यह भोजन भरपेट आप करिए यदि आप चाय पीना चाहते हो तो आप यहाँ निशुल्क चाय पी सकते हो |
आप जब भी लंगर में जाओ तो अपने आप थाली गिलास चम्मच उठा लो फिर लंगर करने के बाद अपने झूठे बर्तन धुलके के रख दो और हा आपको अपना सर भी रुमाल से ढकना होगा इसके अलावा आप जो चाहो वो सेवा यहाँ कर सकते है |

तो मेरे हिसाब से आप रुकिए श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब निवास सराय में और भोजन करिए श्रीगुरु का लंगर में आपको एक अलग ही एह्सास होगा ये दोनों जगह नानकमता गुरुद्वारा के समीप ही है |
गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब कैसे पहुँचे कहाँ रुके क्या-क्या देखे भोजन आदि की जानकारी GURUDWARA SHRI NANKMTTA SAHIB YATRA
वैसे तो यह जगह श्री गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के लिए विश्व भर में जानी जाती है परन्तु यहाँ पे अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थल भी मौजूद है जिनकी भी जानकारी आपको होनी चाहिए –
यह मुख्य गुरुद्वारा है और निसंदेह इसकी भव्यता देखते ही बनती है जैसे ही आप गुरुद्वारा के गेट पर जाते हो सबसे पहले आपको अपने जूते-चप्पल को रखना होगा उसके लिए गुरुद्वारा कमिटी ने निशुल्क व्यवस्था कर रखी अब आप आगे बढे और आगे प्रवेश मार्ग में आप पानी में से होकर निकालेंगे जिससे आपके पैर साफ़ हो जायेंगे अब आप प्रसाद की पर्ची कटवाकर प्रसाद लेके आगे जाओगे अब आप देखेंग ये गुरुद्वारा बहुत ही बड़ा बहुत ही साफ़ सुथरा और यहाँ की नक्खाशी कमाल की है एक बार आप इस गुरूद्वारे को निहार ले फिर अन्दर जाकर प्रसाद चढा दे और अपना मत्था टेके |

मुख्य गुरूद्वारे के अन्दर की भी नक्खाशी बेजोड़ है यह गुरुद्वारा संगमरमर के पत्थरो से बना सफ़ेद रंग का इतना अलौकिक लगता है की बस इसे देखते ही रहे वाकई में इसकी बनावट इसकी साज सज्जा इसकी साफ़ सफाई बहुत ही उच्च कोटि की है | नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब में आपको कुछ अन्य जगहों के भी दर्शन कर लेने चाहिए आइये अब उन जगहों के बारे में भी जान लेते है –
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सरोवर
मुख्य गुरूद्वारे में ही एक अति सुन्दर बड़ा सा सरोवर है जिसमे बहुत ही स्वच्छ जल है यहाँ आप बैठ के इस सरोवर को देख सकते है एक बात और इस सरोवर में रंग बिरंगी बहुत ही सुन्दर मछलियाँ भी है लेकिन आप मछलियोंको कुछ खिला नहीं सकते है सुना तो ये भी है की यहाँ पे स्नान भी किया जाता है परन्तु जब मै गया था तो इस सरोवर में घुसना मना था खैर आप इसे देखे जरूर |

पीपल का वृक्ष
गुरुद्वारा प्रांगण में एक हरा भरा विशाल पीपल का वृक्ष है जिसकी बड़ी मान्यता है जो भी यहाँ आता है वो इस पीपल के वृक्ष के दर्शन अवश्य करता है , कहा जाता है कि पहले यह पीपल का वृक्ष सूखा था लेकिन जब गुरु नानकदेव जी यहाँ आये तो उन्होंने इसी वृक्ष के नीचे ही अपना आसन जमा लिया और उनके यहाँ बैठने भर से ही यह वृक्ष हरा भरा हो गया था | इसे पंजा साहिब भी कहा जाता है तो आप इस दिव्य पीपल के वृक्ष के दर्शन अवश्य करे |

दूध वाला कुवां
गुरुद्वारा प्रांगण में ही स्थित है दूध वाला कुवां जिसके बारे में कहा जाता है कि भाई मरदाना ने गुरु नानक से दूध पीने की इच्छा जाहिर की तो गुरु ने कहा की योगियों से दूध मांग लो लेकिन योगियों ने भाई मरदाना को दूध भी नहीं दिया और ताना भी मारा तो गुरु साहिब में अपनी अध्यात्मिक शक्तियों से योगियों की सारी गायो का दूध निकालकर एक कुंवे में भर दिया ऐसा बताया जाता है की इस कुवे के पानी का स्वाद बिलकुल दूध जैसा है बाद में यही पे एक गुरुद्वारा का निर्माण हुआ तो यह स्थान गुरुद्वारा दूध वाला कुंवा के नाम से जाना जाता है |
गुरुद्वारा श्री भंडारा साहिब
मुख्य नानकमत्ता गुरूद्वारे से महज 400-500 मीटर की दूरी पर स्थित है श्री भंडारा साहिब गुरुद्वारा , यहाँ पर भी आप मत्था टेकने जा सकते है |
गुरुद्वारा श्री अलमस्त साहिब
बाबा श्री अलमस्त जी की याद में बनाया गया यह गुरुद्वारा भी नानक मत्ता में स्थित है कहा जाता है बाबा अलमस्त साहिब को जोगिय ने उनके मन्दिर से निकाल दिया था फिर बाबा अलमस्त जी ने गुरु हरगोबिन्द जी को यहाँ बुलाया और फिर मिलकर एक सिख सेवा संगठन बनाया तो आप यहाँ भी अपना मत्था टेकने जरूर आये |
गुरुद्वारा छठा पटशाही साहिब
यह गुरुद्वारा मुख्य गुरूद्वारे से थोड़ी दूरी पर है इस गुरूद्वारे का जुड़ाव श्री हरगोबिन्द जी से है कहा जाता है इसी स्थान पर सीखो के छठवे गुरु श्री हरगोबिन्द जी ने पीलीभीत जाते समय अपने घोड़ो को बांध दिया था |
बाउली साहिब
जो मुख्य गुरुद्वारा है वही से पीछे की और एक रास्ता गया है लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बाउली साहिब इस स्थान पर गुरु नानक जी द्वारा लाइ हुई एक पानी की बाउली स्थित है तो यहाँ लोग दर्शन हेतु आते है इसके अलावा यह स्थान एक बेहद ही रमणीक जगह है यहाँ दूर दूर तक आपको शांत पानी दिखाई देता है तो यह स्थल एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी उभर के आ रहा है , बाउली साहिब के बहार आपको तमाम आइसक्रीम की दुकाने खिलोनो की दुकाने , चिप्स की दुकाने आदि है |
यह जो बाउली साहिब है वह नानक सागर पर बनी हुई है मतलब एक रास्ता गया हुआ जिसके दोनों और नानक सागर का शांत जल दिखाई देता है फिर आगे जाकर बाउली साहिब है जिसमे एक जीना लगा हुआ उस जीने से आप नीचे तक जा सकते हो , यह एक ऐतिहासिक जगह है यहाँ आपको जरूर जाना चाहिए यहाँ का सूर्यास्त तो बहुत ही सुन्दर होता है संभव हो तो यहाँ आप शाम को आये , यहाँ पर आपको नाव की सवारी का भी लुत्फ़ मिल सकता है |


नानक सागर
नानक सागर डैम भी एक बहुत ही खूबसूरत जगह है यह मुख्य गुरुद्वारा से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर है यहाँ आप बोटिंग का मजा ले सकते हो और डैम की ख़ूबसूरती को भी निहार सकते हो तो यदि समय मिले तो यहाँ भी अवश्य जाए |
देखिये Nanakmatta Sahib आप साल भर के कभी भी जा सकते हो परन्तु यहाँ दीपावली के समय मेला लगता है तो उस समय यह स्थान और भी खास हो जाता है तो यदि आप दीपावली में जाओ तो भीड़ तो मिलेगी लेकिन मजा भी आने वाला है रही बात टाइमिंग की तो यहाँ के सभी गुरूद्वारे में आप रात 8-9 बजे तक देख लो तो ज्यादा बढ़िया रहता है |
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तो दोस्तों नानकमत्ता के गुरूद्वारे एक बहुत ही शांतिप्रिय जगह है अगर यहाँ कुछ सुनाई देता है तो सिर्फ गुरुबानी की धुन जो बहुत ही मधुर होती है यहाँ पर हर एक गुरूद्वारे का अपना एक अलग इतिहास है तो कुल मिलाकर यह स्थान सिखों का एक पावन स्थान है जहाँ आप गुरुद्वारा में मत्था टेककर दर्शन का लाभ ले सकते हो और नानक सागर के प्राकृतिक नज़ारे भी देख सकते हो यदि आपके पास एक दिन का समय है तो आप यहाँ आ सकते है |